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King Vikram-Betal and King Bharthari’s Wife / विक्रम-बेताल आ राजा भर्थरी

    Documented by Coralynn V. Davis and Carlos Gomez
    Transcription by Nidhi Anand and Translation by Neeraj Kumar
    Translation edits by Coralynn V. Davis

    Teller: Unknown
    Location: Rampur
    Date: 1/6/2017

    January 6, 2017: Session A2
    Maithili Folklore Story 17_01_06a_02

    View the transcription in Maithili.

    Side-by-side Maithili and English

    एकटा विक्रमादित्य छलखिन्ह हे राजा । हुनका ने रोज एकटा पंडित सोनाकेँ आम दय छलखिन्ह फल। त’ एक दिन न ओ गेलखिन लगमे त’ पूछलखिन, अहाँ हमरा रोज कियै दय छी?

    There once was a King named Vikramaditya. A priest used to give him a golden mango everyday, a fruit. One day he went up to him and asked, “Why do you give this to me each day?”

    त’ पंडित कहलखिन जे एकटा बैताल छै, हमरा नै एकटा पूजा सिद्ध करबाक अछि त’ अहाँ जाउ बैतालकेँ पकड़ि कऽ आनब। ओ बैताल ने रस्तामे अहाँकेँ खिस्सा कहत ओकर अहाँ खिस्सा क पूछि कऽ ओकरा क्योसचन ( question) सब पूछत। त’ ओकर बाद अहाँ अगर ओकर मतलब जवाब दऽ देबय त’ ओ फेरसँ भागि जैब आ जवाब नै देबय त’ अहाँकेँ गला ओ काटि देत। त’ विक्रमादित्य जाइ छथिन्ह त’ बैतालकेँ पकड़िए छथिन्ह।

    To which the priest replied, “A ghost there. I have to attain mastery of a kind of worship, so go and catch that ghost for me. That ghost will tell you a story and ask you questions about it. Now, if you answer them he will vanish from there, but if you do not, he will cut your throat.” Then Vikramaditya went and caught that ghost.  

    त’ कहानी ओ एकटा कहय छन्हि। एकटा रानी छलखिन्ह।हुनकासँ ने तीन टा राजा शादी करबऽ लै छलखिन्ह। त’ रानी न मरि गेलखिन। त’ उ हुनकासँ ओकर आत्मासँ…त’ एकटा राजा हुनकर मतलब बाॅडीकेँ रक्षा करय लै ओतय रहि गेलखिन। एकटा राजा अप्पन गांव गेलखिन आ पूरा कमा कमा कऽ हुनका लै किछु किन कऽ अनय छलखिन्ह आ एकटा राजा अप्पन दोसर ठमान ओनही रहय लै फेर ओ कहियो नै एलखिन। त’ हुनकर आत्मासँ पूछलकैन जे अहाँ जिंदा रहितियय त’ केकरासँ शादी करितियय? 

    Then the ghost tells him a story: “There once was a queen. Three kings were supposed to marry her. But the queen died. To marry with her soul… one king stayed there with her body to protect her. One king went to his village, earned money and brought her things. One king went to live at a different place and stayed away and never came. Then her soul was asked, “Had you been alive, who would you have married?”

    त’ ओ कहलखिन जे… फेर ओ बैताल न विक्रमसँ ‘क्योसचन’ पूछय छथिन्ह। 

    Then he said… again the ghost asked Vikram this question.

    त’ ओ कहय छथिन्ह जे ओकरा बाॅडीकेँ रक्षा केलखिन से ओकर पप्पा भेलखिन जे हुनका लै चीज सब किन कऽ आनय छलखिन्ह से ओकर भाय आ जे नै एको बेर मुड़ि कऽ एलय हुनका ओकरासँ शादी करबाक छलै। त’ फेर बैताल चलि गेलय त’ फेर पकड़ि कऽ एलखिन। 

    Then he replied, “The one who protected her body was her father. The one who brought her things was her brother, and the one who never came back was the person she would have married.” The ghost went away, but he caught and brought him back again.

    एनाही बहुत खिस्सा कहलकैन और एनाही भागि गेलखिन। लास्टमे न हुनकर मुँह बंद कऽ कऽ बैतालकेँ अनलखिन। 

    In this manner, he told Vikramaditya many stories and kept vanishing afterward. At last, he shut the ghost’s mouth and brought him there.

    बैताल कहलकन रस्तामे अहाँ जाइ छी जाउ फेर ओ तांत्रिक बाबा कहत अहाँकेँ काली माँकेँ न गोर लागय लै त’ अहाँ जखने मुड़ी एना करबय तखने ओ अहाँकेँ गरदनि काटि देत। हमरो देखय छी एनाही कटलक है। 

    On their way, the ghost said to him, “You are going, that’s fine. But that tantric priest will tell you to bow before Goddess Kali, and as you bow your head in this way, he will cut your throat. Look at me, he cut mine like that.”

    तब विक्रमादित्य जाय छथिन्ह बैतालकेँ लऽ कऽ त’ न ओ बैतालकेँ पकड़ि लै छै आ तांत्रिक कहय छै अहाँ काली मायकेँ गोर लागि लियऽ। जखने ओ गोर लागऽ जाय छथिन्ह कहय छथिन्ह नै अहूँ हमरा संगे गोर लागु। 

    Now, when Vikramidtya went there bringing the ghost along with thim, the priest caught the ghost and told him, “Bow before Goddess Kali.” And then when the ghost went to bow before Goddess Kali, he requested of the priest, “You also bow along with me before the goddess.”

    त’ एना झुकय छै ने तांत्रिक त’ हुनके गरदनि काटि दय छथिन्ह। 

    And when the priest bowed, Vikramaditya cut the priest’s own neck.

    ओइ दिन कोनो चीज रहय छै जे जकर सिद्धकेँ न बलि चढ़ेतै न ओकरा पूरा सौ सिद्धिसँ सबटा प्राप्त भऽ जेतय।

    That day something occurred, meaning, if somebody wanted to acquire mastery of something they would offer a sacrifice for that, on account of which they would acquire all one hundred masteries.

    त’ बाबो त’ तांत्रिके छलय त’ ओकर गरदनि काटि कऽ विक्रमादित्यकेँ बहुत चीज भऽ जाय छनि। 

    But the priest himself was a tantric priest, so Vikramaditya received a lot of things after sacrificing the priest.

    फेर ओ अप्पन राज्यम आबय छथिन्ह त’ हुनकर एकटा पैघ भाई राजा भरतरी रहय छथिन्ह से ताबतमे हुनकर राज्य पर करैत रहय छथिन्ह राजा बनि कऽ। त’ हुनकर न राजा भरतरीकेँ शादी छनि त’ हुनकर जे कनिया रहय छथिन्ह त’ न राजा भरतरीकेँ न एकटा तांत्रिक न सोनाकेँ फल देने रहय छै, अमृत फल छलय। अगर ओ खा लेतय न त’ क्यो मरतय नय त’ राजा भरतरी ओ रानीकेँ दऽ देलखिन। कहलखिन अहाँ एकरा ने बचा कऽ राखू। 

    So then he came back to his province. His elder brother King Bhartrihari, having been crowned, was ruling the kingdom in his absence. King Bhartrihari’s marriage was scheduled for around that time. A priest had given a golden fruit to King Bhartrihari, that was an elixir. If one ate it, one would never die. King Bhartrihari gave that fruit to his queen. He told her, “Keep it safe.”

    ओ रानी जे एलखिन ने त’ ओ राजा भरतरी ने पूरा चीज भूलि कऽ रानीकेँ संगे रहय छलखिन्ह। एको रती राज पर ध्यान नै दय छलखिन्ह। 

    And when the queen arrived after the wedding, King Bhartrihari, having forgotten everything, began staying with his queen all the time. He didn’t pay attention to the kingdom at all.

    त’ क्यो एकटा आदमी छलै राजा विक्रमादित्य गेलखिन एकटा आदमी लगमे बाबा लगमे। कहलखिन एना एना हमर भाई राज पर ध्यान नै दय यै। 

    Then King Vikramaditya went to someone, a priest. He said, “Such and such is the situation, my brother doesn’t pay attention to the kingdom.”

    त’ न ओ तांत्रिक न एकटा आदमीकेँ भेजलखिन। गुरू छलखिन्ह ओ तांत्रिककेँ हुनका भेजलखिन त’ कि केलखिन न ओ ककरो भेष लऽ कऽ आ रानीसँ न मतलब रानीसँ फल मांगि लेलखिन। 

    So that tantric priest sent one of his men. He was a master, that tantric priest. He sent someone who, taking on a different appearance, successfully took the fruit back from the queen. 

    रानीसँ शादियो कऽ लेलखिन, फल मांगि लेलखिन। त’ रोज रानी न फल दय छलीह ओ जिनकासँ शादी कय लेलकय। 

    He also married the queen, and took back the fruit. Then everyday the queen would give him the fruit, the person she had married.

    त’ एक दिन न विक्रमादित्य देखि लेलखिन त’ ओ न कहलखिन जे भौजी अहाँ एते एना कियै करय छी? 

    One day Vikramaditya noticed that, and he said, “Hey, sister-in-law, why do you do this?”

    त’ फेर ओ राजा भरतरीकेँ कनिया सबटा कहि देलखिन। त’ न फेर ओ कहलखिन विक्रमादित्यकेँ जे अहॉं न अप्पन भैयाकेँ ई सब नै कहबय। 

    So that wife of King Bhartrihari told him everything. She told Vikramaditya, “Please don’t tell your elder brother about this.”

    त’ न जे रानी छलखिन्ह है हुनका ओ आदमी बहुत मारय छलैन कि अहाँ हुनका छोड़ि कऽ हमरा लग आबि गेलौं। 

    That man who was sent by the priest would beat the queen a lot, saying, “You left him [your husband] and came to me.”

    त’ विक्रमादित्य कहलखिन ठीक छै हम नै कहब। 

    Then Vikramaditya said, “Fine, I won’t tell him.”

    त’ ओ जे राजा भरतरी ने हुनकासँ पूछलखिन जे अहॉंकेँ ई सब के केलक के केलक कहू हमरा। 

    Then King Bhartrihari asked her, “Who did this to you, tell me.”

    त’ हुनकर जे दोस्त सब रहय छथिन्ह से कहि देलखिन, विक्रमादित्य।

    Then his friends told him, “It is Vikramaditya.”

    विक्रमादित्यकेँ त’ ओ देने छलखिन्ह जे अहॉं नै कहब भैयाकेँ अइ दुआरे नै कहलखिन। 

    Now the queen had already told Vikramaditya, “Do not reveal this to your elder brother,” which is why he had not revealed it.

    त’ विक्रमादित्यकेँ न अप्पन किंगडमसँ निकालि देलखिन। 

    Thus, he threw Vikramaditya out of his kingdom. 

    त’ फेर ओ आदमी एलय, सबटा ओ बाजि देलकय। रानीकेँ बजलखिन कहलखिन जे रानी अहाँ लग जे हम अहॉंकेँ फल देने छलौं हऽ अहाँ लग कतऽ अइ। 

    But then that man sent by the priest came there and revealed everything. He asked the queen, “Where is the fruit that I gave you, where is that?”

    त’ ने रानी कऽ नै भेटलय रानीकेँ। ओ आदमी फल दै देलकनि कहि देलकनि सबटा चीज। 

    The queen couldn’t find it. Then that man sent by the priest gave all the fruit, and revealed everything.

    त’ फेर ने रानीकेँ अप्पन भाईकेँ बजा लेलखिन। हुनका राज पाठ दऽ देलखिन आ रानीकेँ ओतय छोड़ि देलखिन आ सन्यास लय लै अप्पन चलि गेलखिन। 

    And so, he called his brother [Vikramaditya] back and returned the kingdom to him; he left his queen there and went away, renouncing the worldly realm. 

    हो गया।

    The story is over.

    Maithili Transcript

    एकटा विक्रमादित्य छलखिन्ह हे राजा । हुनका ने रोज एकटा पंडित सोनाकेँ आम दय छलखिन्ह फल। त’ एक दिन न ओ गेलखिन लगमे त’ पूछलखिन, अहाँ हमरा रोज कियै दय छी?

    त’ पंडित कहलखिन जे एकटा बैताल छै, हमरा नै एकटा पूजा सिद्ध करबाक अछि त’ अहाँ जाउ बैतालकेँ पकड़ि कऽ आनब। ओ बैताल ने रस्तामे अहाँकेँ खिस्सा कहत ओकर अहाँ खिस्सा क पूछि कऽ ओकरा क्योसचन ( question) सब पूछत। त’ ओकर बाद अहाँ अगर ओकर मतलब जवाब दऽ देबय त’ ओ फेरसँ भागि जैब आ जवाब नै देबय त’ अहाँकेँ गला ओ काटि देत। त’ विक्रमादित्य जाइ छथिन्ह त’ बैतालकेँ पकड़िए छथिन्ह।

    त’ कहानी ओ एकटा कहय छन्हि। एकटा रानी छलखिन्ह।हुनकासँ ने तीन टा राजा शादी करबऽ लै छलखिन्ह। त’ रानी न मरि गेलखिन। त’ उ हुनकासँ ओकर आत्मासँ…त’ एकटा राजा हुनकर मतलब बाॅडीकेँ रक्षा करय लै ओतय रहि गेलखिन। एकटा राजा अप्पन गांव गेलखिन आ पूरा कमा कमा कऽ हुनका लै किछु किन कऽ अनय छलखिन्ह आ एकटा राजा अप्पन दोसर ठमान ओनही रहय लै फेर ओ कहियो नै एलखिन। त’ हुनकर आत्मासँ पूछलकैन जे अहाँ जिंदा रहितियय त’ केकरासँ शादी करितियय? 

    त’ ओ कहलखिन जे… फेर ओ बैताल न विक्रमसँ ‘क्योसचन’ पूछय छथिन्ह। 

    त’ ओ कहय छथिन्ह जे ओकरा बाॅडीकेँ रक्षा केलखिन से ओकर पप्पा भेलखिन जे हुनका लै चीज सब किन कऽ आनय छलखिन्ह से ओकर भाय आ जे नै एको बेर मुड़ि कऽ एलय हुनका ओकरासँ शादी करबाक छलै। त’ फेर बैताल चलि गेलय त’ फेर पकड़ि कऽ एलखिन। 

    एनाही बहुत खिस्सा कहलकैन और एनाही भागि गेलखिन। लास्टमे न हुनकर मुँह बंद कऽ कऽ बैतालकेँ अनलखिन। 

    बैताल कहलकन रस्तामे अहाँ जाइ छी जाउ फेर ओ तांत्रिक बाबा कहत अहाँकेँ काली माँकेँ न गोर लागय लै त’ अहाँ जखने मुड़ी एना करबय तखने ओ अहाँकेँ गरदनि काटि देत। हमरो देखय छी एनाही कटलक है। 

    तब विक्रमादित्य जाय छथिन्ह बैतालकेँ लऽ कऽ त’ न ओ बैतालकेँ पकड़ि लै छै आ तांत्रिक कहय छै अहाँ काली मायकेँ गोर लागि लियऽ। जखने ओ गोर लागऽ जाय छथिन्ह कहय छथिन्ह नै अहूँ हमरा संगे गोर लागु। 

    त’ एना झुकय छै ने तांत्रिक त’ हुनके गरदनि काटि दय छथिन्ह। 

    ओइ दिन कोनो चीज रहय छै जे जकर सिद्धकेँ न बलि चढ़ेतै न ओकरा पूरा सौ सिद्धिसँ सबटा प्राप्त भऽ जेतय। 

    त’ बाबो त’ तांत्रिके छलय त’ ओकर गरदनि काटि कऽ विक्रमादित्यकेँ बहुत चीज भऽ जाय छनि। 

    फेर ओ अप्पन राज्यम आबय छथिन्ह त’ हुनकर एकटा पैघ भाई राजा भरतरी रहय छथिन्ह से ताबतमे हुनकर राज्य पर करैत रहय छथिन्ह राजा बनि कऽ। त’ हुनकर न राजा भरतरीकेँ शादी छनि त’ हुनकर जे कनिया रहय छथिन्ह त’ न राजा भरतरीकेँ न एकटा तांत्रिक न सोनाकेँ फल देने रहय छै, अमृत फल छलय। अगर ओ खा लेतय न त’ क्यो मरतय नय त’ राजा भरतरी ओ रानीकेँ दऽ देलखिन। कहलखिन अहाँ एकरा ने बचा कऽ राखू। 

    ओ रानी जे एलखिन ने त’ ओ राजा भरतरी ने पूरा चीज भूलि कऽ रानीकेँ संगे रहय छलखिन्ह। एको रती राज पर ध्यान नै दय छलखिन्ह। 

    त’ क्यो एकटा आदमी छलै राजा विक्रमादित्य गेलखिन एकटा आदमी लगमे बाबा लगमे। कहलखिन एना एना हमर भाई राज पर ध्यान नै दय यै। 

    त’ न ओ तांत्रिक न एकटा आदमीकेँ भेजलखिन। गुरू छलखिन्ह ओ तांत्रिककेँ हुनका भेजलखिन त’ कि केलखिन न ओ ककरो भेष लऽ कऽ आ रानीसँ न मतलब रानीसँ फल मांगि लेलखिन। 

    रानीसँ शादियो कऽ लेलखिन, फल मांगि लेलखिन। त’ रोज रानी न फल दय छलीह ओ जिनकासँ शादी कय लेलकय। 

    त’ एक दिन न विक्रमादित्य देखि लेलखिन त’ ओ न कहलखिन जे भौजी अहाँ एते एना कियै करय छी? 

    त’ फेर ओ राजा भरतरीकेँ कनिया सबटा कहि देलखिन। त’ न फेर ओ कहलखिन विक्रमादित्यकेँ जे अहॉं न अप्पन भैयाकेँ ई सब नै कहबय। 

    त’ न जे रानी छलखिन्ह है हुनका ओ आदमी बहुत मारय छलैन कि अहाँ हुनका छोड़ि कऽ हमरा लग आबि गेलौं। 

    त’ विक्रमादित्य कहलखिन ठीक छै हम नै कहब। 

    त’ ओ जे राजा भरतरी ने हुनकासँ पूछलखिन जे अहॉंकेँ ई सब के केलक के केलक कहू हमरा। 

    त’ हुनकर जे दोस्त सब रहय छथिन्ह से कहि देलखिन, विक्रमादित्य। 

    विक्रमादित्यकेँ त’ ओ देने छलखिन्ह जे अहॉं नै कहब भैयाकेँ अइ दुआरे नै कहलखिन। 

    त’ विक्रमादित्यकेँ न अप्पन किंगडमसँ निकालि देलखिन। 

    त’ फेर ओ आदमी एलय, सबटा ओ बाजि देलकय। रानीकेँ बजलखिन कहलखिन जे रानी अहाँ लग जे हम अहॉंकेँ फल देने छलौं हऽ अहाँ लग कतऽ अइ। 

    त’ ने रानी कऽ नै भेटलय रानीकेँ। ओ आदमी फल दै देलकनि कहि देलकनि सबटा चीज। 

    त’ फेर ने रानीकेँ अप्पन भाईकेँ बजा लेलखिन। हुनका राज पाठ दऽ देलखिन आ रानीकेँ ओतय छोड़ि देलखिन आ सन्यास लय लै अप्पन चलि गेलखिन। 

    हो गया।