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The Eagle and the Jackal and the Jiyutiya Festival / ज्युतिया पाबइन आ चील्हो-सियारो

    Documented by Coralynn V. Davis and Carlos Gomez
    Transcription by Nidhi Anand and Translation by Neeraj Kumar
    Translation edits by Coralynn V. Davis

    Teller: Mithilesh Devi
    Location: Nazirpur
    Date: 12/24/16

    December 24, 2016: Session A3
    Maithili Folklore 16_12_24_A_3

    View the transcription in Maithili.

    Side-by-side Maithili and English

    चिल्होइर सियारो रहैत l त चिल्होइर रहैत गाछ पर, आ सियारो रहैत गाछक, बड़क गाछ, के जड़ में l

    There once were an eagle and a jackal. The eagle lived up in a tree, and the jackal lived at the base of the tree.

    त लोक सब, जितिया पावन रहय, पोखर में जे चढ़बअ गेल तेल खैर, त ओ देखलखिन l

    It was the festival of Jitiya, and they observed the people who had gone to the pond to offer oil and oil cake.

    त निचला जे सियारो रहथिन त कहलखिन, “हय बहिन चिल्होइर, लोक पावन करय छै, से करबअ, त कहलकय हम करब l”

    Then the jackal down below inquired, “Hey sister eagle, people are celebrating the festival. Will you do the same?” “Yes, I will,” the reply came. 

    त चला, पोखर में लोक स तेल खैर मांगि क चढ़ैलैथ आ सहलैथ l

    So let’s go. They asked for oil and oil cake from people and offered it at the pond, and began fasting.

    त चिल्होइर त ऊपर में चढ़ल रहत, त अपन सहैत रहैत l आ सियारो जे निचा में रहैत, त एकटा मुर्दा मरल रहे त हुनका कछमछ कछमछ करे, जे कखन इ सुतत चिल्होइर, जे हम हाड़ गोड़ आनब खैब l

    The eagle was sitting above, and was fasting. And the jackal, who was on the ground, was anxiously wondering, “When, after all, will this eagle go to sleep so that I can drag over and eat the flesh and bones of a dead body from there.” 

    त चिल्होइर जे गाछ पर सुति रहलैथ, त सियारो कि केलैथ त उ मुर्दा जे मरल रहै से सबटा हड्डी आनि क से गाछ तड़, अपन भूखल रहैत त करकरा करकरा क खायत, त चिल्होइर कहथिन कि जे, “हय बहिन, कथी करकराय छ है ?” 

    Thus, as the eagle slept above in the tree, what the jackal did was that she brought all the bones from that dead body to the base of the tree, and, being hungry, started eating with a crackling sound. The eagle asked, “Hey sister, what is crackling?”  

    आ त सहल छी से हाड़ गोड़ करकराइ यै l नइ हय किछ करकराय छ, त नइ सहल छी, अइ कर स ओइ कर घुमइ छी से हाड़ गोड़ करकराइ यै l”

    “Actually, it’s my flesh and bones that are crackling since I am on fast.” “Hey, no. It must be something else that is crackling.” “No, since I am on fast, when I turn over my flesh and bones crackle.”

    त ओ भिनसर जे भेलय, त इ कहलखिन कि सब जे पावन तिहार करत त बहिन के हमहु पठा दइ छी l

    Then, when the sun next arose, she said, “Since people will now perform rituals, I too should also send such items for my sister.”

    त इ कि केलखिन चिल्होइर के जे पारण लै समान पठेलखिन, त इ सब किछ समान जे देलखिन त ओइ में कि केलखिन ओकरा पांचो बेटा के मुड़ी काटि क चंगेरा में द क लाल कपड़ा स झांपि देलखिन l

    Then when the jackal sent items to the eagle for her fast-breaking ritual, among all the items she gave, in a basket she placed the heads of the eagle’s five sons that she had severed, covered with a red cloth.

    त ओ जे देखलक, त कतो स भार दोर अबइ छै त मिथिला में त लोग धरय छै सिरे आगु, सिरा आगु में रखलक आ ओकरा उसरैग देलक l उसरैग क जे ओ देखलक, त इ देखइ यै बाप रे हमरा पांचो बेटा के मुड़ी छी काटल आ ओइ में रहय नारियल के सबटा मुड़ा भ गेल l नारियल के मुड़ा भ गेल आ उ पांचो बेटा के जे देखलक त इ काना खीजा लागल कहा लागल l

    Then as she saw it. …In Mithila, whenever some gift is received from anywhere it’s placed first before the family god/goddess. She put it before the family goddess, offering it thusly. As she saw after offering it, she saw, “Oh my god, heads of all my five sons are severed and have become like coconuts.” They  appeared as coconut heads. And when she saw her five sons, she began weeping, muttering out loud.

    तकर बाद से इ कि केलक त अपन भगवान के प्रार्थना त्रार्थना केलकl नह चीर क अमृत देलकय, त सहल रहै जितिया पावन के, त ओकर सबटा बेटा उठि क खड़ा भेलय l

    After that, what she did was she prayed to the god. Offered the nectar of immortality by tearing off her nails. And as she was fasting for Jitiya, all her sons arose intact standing back up onto their feet. 

    ताएं कहय छै, चिल्होइर सनक सब हुयै, सियारो सनक कियो नइ हुयै l

    That’s why it’s said that all should be like an eagle, and nobody should be like a jackal.

    Maithili Transcript

    चिल्होइर सियारो रहैत l त चिल्होइर रहैत गाछ पर, आ सियारो रहैत गाछक, बड़क गाछ, के जड़ में l

    त लोक सब, जितिया पावन रहय, पोखर में जे चढ़बअ गेल तेल खैर, त ओ देखलखिन l

    त निचला जे सियारो रहथिन त कहलखिन, “हय बहिन चिल्होइर, लोक पावन करय छै, से करबअ, त कहलकय हम करब l”

    त चला, पोखर में लोक स तेल खैर मांगि क चढ़ैलैथ आ सहलैथ l

    त चिल्होइर त ऊपर में चढ़ल रहत, त अपन सहैत रहैत l आ सियारो जे निचा में रहैत, त एकटा मुर्दा मरल रहे त हुनका कछमछ कछमछ करे, जे कखन इ सुतत चिल्होइर, जे हम हाड़ गोड़ आनब खैब l

    त चिल्होइर जे गाछ पर सुति रहलैथ, त सियारो कि केलैथ त उ मुर्दा जे मरल रहै से सबटा हड्डी आनि क से गाछ तड़, अपन भूखल रहैत त करकरा करकरा क खायत, त चिल्होइर कहथिन कि जे, “हय बहिन, कथी करकराय छ है ?”

    आ त सहल छी से हाड़ गोड़ करकराइ यै l नइ हय किछ करकराय छ, त नइ सहल छी, अइ कर स ओइ कर घुमइ छी से हाड़ गोड़ करकराइ यै l”

    त ओ भिनसर जे भेलय, त इ कहलखिन कि सब जे पावन तिहार करत त बहिन के हमहु पठा दइ छी l

    त इ कि केलखिन चिल्होइर के जे पारण लै समान पठेलखिन, त इ सब किछ समान जे देलखिन त ओइ में कि केलखिन ओकरा पांचो बेटा के मुड़ी काटि क चंगेरा में द क लाल कपड़ा स झांपि देलखिन l

    त ओ जे देखलक, त कतो स भार दोर अबइ छै त मिथिला में त लोग धरय छै सिरे आगु, सिरा आगु में रखलक आ ओकरा उसरैग देलक l उसरैग क जे ओ देखलक, त इ देखइ यै बाप रे हमरा पांचो बेटा के मुड़ी छी काटल आ ओइ में रहय नारियल के सबटा मुड़ा भ गेल l नारियल के मुड़ा भ गेल आ उ पांचो बेटा के जे देखलक त इ काना खीजा लागल कहा लागल l

    तकर बाद से इ कि केलक त अपन भगवान के प्रार्थना त्रार्थना केलकl नह चीर क अमृत देलकय, त सहल रहै जितिया पावन के, त ओकर सबटा बेटा उठि क खड़ा भेलय l

    ताएं कहय छै, चिल्होइर सनक सब हुयै, सियारो सनक कियो नइ हुयै l