September 14, 2016: Session A2
Maithili Folklore 16_09_14_a_2
Documented by Coralynn V. Davis and Carlos Gomez
Transcription by Nidhi Anand and Translation by Neeraj Kumar
Teller: Baby Das
Location: Ranti, Jeevika Art Collective
Date: 9/14/16
Side-by-side Maithili and English
पार्वती विचार केलखिन कि महादेव विचार केलखिन कि जे हम मतलब मृत्यु जीवन में धरती पर हम एक बेर जाइ छी भ्रमण करए के लेल। त गौरी कहलखिन कि पार्वती जे नइ हमु अहां साथे चलब। त महादेव मना केलखिन अहां नइ जाऊ अहां ओइठाम नइ जा पैब। कहलखिन कियै जब अहां जा सकइ छी त हम कियै नइ जैब। जिद क देलखिन, कहलखिन ठीक छै चलु लेकिन अहां ऊंहा नइ टिक पैब। कहलखिन नइ अहां चलु। त कहलखिन ठीक छै।
Goddess Parvati thought to herself…rather, God Mahadev thought to himself, “I’ll go to visit the earth, the mortal world of life and death.” Then Parvati replied, “I will accompany you.” Mahadev rejected her request, saying, “You mustn’t come along with me as it will be difficult for you.” Parvati demanded to know, “If you can go, why can’t I?” When Parvati insisted, Mahadev said, “Fine, but you won’t be able to stay long.” Parvati answered, “That’s ok. But let’s go.” Mahadev replied, “OK.”
दुनु आदमी भेष बदल क धरती पर एलखिन इये महादेव आ पार्वती। त उ कहलखिन कि जे चलइत गेलखिन चलइत गेलखिन आ बसहा छलनइये हुनका संग में। त ओइ पर कि भेलन जे कनी दूर मतलब चललखिनइये त सब कहि छैन देखू केहन छै आ महादेव त बूढ़ के रूप धेलखिनयै जे आ पार्वती कहलखिन इ हम एहन भेष कियै रहब। उ अपन जवान जहान खूबसूरत सुंदर अपन बनल एकटा औरत के रूप धेने छलखिन यै।
Both of them took incarnation as human beings and set forth on their journey to earth. Then both of them kept going on the road, and Basaha was with them as usual. While they travelled across a distance, some people looked at them and said, “Hey! Look at them. How unique that man is – an old man with an extremely beautiful, young lady.” Parvati said, “Why should I be an old-looking woman,” and had taken the form of a very young and beautiful lady.
त चल्लखिन त कहै छै देखू केहन बूढ़बा छै, केहन बूढ़ छै आ एकरा केते सुंदर लड़की स बियाह भ गेल छै, से केहन छै इ बूढ़बा केहन ठकि के बियाह क लेलकय यै एकरा साथे। फेर महादेव पार्वती के तामस उठलन जे देखू केहन बात इ हमरा कहलक इयै। हिनका बूढ़ कहलकैन आ हमरा जवान। फेर ओ अपना दुनू एके रुप में आइब गेलखिनयै उहो मतलब ओही रुप में।
As they travelled a bit more, again some people they came across commented, “Look at them. Clever fellow. He himself is old but has lured a beautiful, young lady into marrying him.” Hearing this, Parvati got angry, said, “Look how badly they are talking about us.” Then she decided that she would turn back into being an older woman, like the form she had chosen at the start of their journey.
फेर चलइत गेलखिन। देखू एहन दू फेर,थोड़े दूर गेलखिन त एकटा गाम घुसलखिन। कहलकैन देखिऔ केहन अथी छै दुनू आदमी से अपने पैरे चलै छै आ इ गधा के अथी बसहा के ओहिना लेने जाइ छै, से अइ पर बइठ जेतै से नइ जे बसहा के पकइर के चलि रहल छै। त फेर उ कि केलखिन त महादेव ओइ पर बइस गेलखिन। थोड़े दूर गेला के बाद आ फेर पार्वती रस्सी ल क खिचैत गेलखिनयै। फेर थोड़े दूर चललखिन उम्मम केहन छै देखिऔ मर्द भ क अपने बसि गेलय यै औरत रस्सी घीचै छै से केहन जुग छै। फेर उनका दुसलकन सब केयौ।
She became so and kept moving on the road. As they covered more distance and entered another village, some people saw them and commented, “Look at them. How foolish they are. They have chosen to walk despite having their Basaha with them. Can’t they just sit on Basaha’s back and travel!?” Hearing this, only Mahadev sat on Basaha’s back and they moved on. Parvati was holding the rope tied around Basaha’s neck as they went along. Again, some people saw them and commented. They said, “Look at this man. Being a man, he is himself riding on Basaha’s back and has left his wife holding Basaha’s rope and travelling along on foot. What a dark time we live in.” Again, they heard words.
फेर कहलखिन कि चलु दुनु आदमी बइस जाइ छी। महादेव उतइर गेलखिन पार्वती बइस गेलखिन तखैन देखियौ त केहन औरत। फेर थोड़े दूर चललखिन त कहि छै केहन ढीठगर छै इ औरत से देखियौ जे चलइ छै अपने ऊपर बइस गेलै आ इ बूढ़बा से रस्सी खीचबाबइ छै, से देखियौ केहन जमाना आइब गेलै इयै। फेर उतर गेलखिन पार्वती देखियौ किछ करइ छी त किछ में इ मतलब मनुख गुंजाइश नइ होबा दइ छै आदमी के। तब कहलखिन कि दुनु आदमी बइस गेलखिन। कहलखिन कि फेर चललखिन त कहलखिन देखियौ केहन आदमी छै यै एकटा बसहा पर दु दु आदमी लइद गेलए यै, इ बसहा के एहन धूप में जान जेतै कि नइ जेतै।
Then they discussed whether both of them should sit on Basaha’s back. But, this time Mahadev asked Parvati to sit on Basaha’s back, and he chose to travel on foot. As they travelled onward, some people saw them. They said, “Look at this shameless lady. Can’t she care for her husband? She is making an old man pull the rope tied around Basaha’s neck. What a time we are living in!” So Parvati decided to dismount and said, “Whatever you do in this world, people will not leave you in peace.” So next they both sat on Basaha’s back. As they travelled a bit further, some people looked at them and said, “Look at these guys. How cruel! In this scorching summer, both of them have sat on Basaha’s back and the poor animal is suffering. Will they leave him dead or what?”
पार्वती खिसिया गेलखिन। कहलखिन कि अहीं के नीक लगइ यै इ मृत्यु भुवन में। हम अइ ठाम नइ टिक पैब। मतलब केहनो काम इहां करु लेकिन हरेक काम में किछ न किछ अथी निकाइल देखियौ किछ केलिए हम केहुना चललिए लेकिन किछ न किछ आदमी अथी कइऐ देलक दोष निकाइलते रहल है। इ जगह हमरा लेल नइ सही अइ। त महादेव कहलखिन जे वहै त इ छै जे मनुष्य जे छै से भगवानो स ऊपर तैं कहलाए छै। जते कष्ट मनुष्य झेल सकइ यै ओ त भगवानो नइ झेल पाबइ छथिन। त तैं दुआरे अंहा के बरदाश्त नइ होइ यै। सोचियो इहां के आदमी कते इ चीज झेल रहल छै। इहां जे आदमी रहैत हेतै तकरा त कते ओकरा कष्ट से यहाँ से गुजरत हेतै। तेकर बाद महादेव आ पार्वती अपन चलि गेलखिन।
Parvati got very angry. She told Mahadev, “Only you can like living in this mortal world. I won’t be able to live here anymore. Whatever you do, whatever way you choose to live in this world, the people here will find something wrong with it. They found a fault with each way I decided to travel . This place is not right for me.” Then Mahadev replied to Parvati, “This is how it is. That’s why human beings are said to be holding a place above even God. The amount of pain that a human being can live through is insurmountable even for God. That’s why you can’t live through this pain. Just imagine how much pain people living on earth must be facing in their lives.” After that, Mahadev and Parvati left there.
Maithili Transcript
पार्वती विचार केलखिन कि महादेव विचार केलखिन कि जे हम मतलब मृत्यु जीवन में धरती पर हम एक बेर जाइ छी भ्रमण करए के लेल। त गौरी कहलखिन कि पार्वती जे नइ हमु अहां साथे चलब। त महादेव मना केलखिन अहां नइ जाऊ अहां ओइठाम नइ जा पैब। कहलखिन कियै जब अहां जा सकइ छी त हम कियै नइ जैब। जिद क देलखिन, कहलखिन ठीक छै चलु लेकिन अहां ऊंहा नइ टिक पैब। कहलखिन नइ अहां चलु। त कहलखिन ठीक छै।
दुनु आदमी भेष बदल क धरती पर एलखिन इये महादेव आ पार्वती। त उ कहलखिन कि जे चलइत गेलखिन चलइत गेलखिन आ बसहा छलनइये हुनका संग में। त ओइ पर कि भेलन जे कनी दूर मतलब चललखिनइये त सब कहि छैन देखू केहन छै आ महादेव त बूढ़ के रूप धेलखिनयै जे आ पार्वती कहलखिन इ हम एहन भेष कियै रहब। उ अपन जवान जहान खूबसूरत सुंदर अपन बनल एकटा औरत के रूप धेने छलखिन यै।
त चल्लखिन त कहै छै देखू केहन बूढ़बा छै, केहन बूढ़ छै आ एकरा केते सुंदर लड़की स बियाह भ गेल छै, से केहन छै इ बूढ़बा केहन ठकि के बियाह क लेलकय यै एकरा साथे। फेर महादेव पार्वती के तामस उठलन जे देखू केहन बात इ हमरा कहलक इयै। हिनका बूढ़ कहलकैन आ हमरा जवान। फेर ओ अपना दुनू एके रुप में आइब गेलखिनयै उहो मतलब ओही रुप में।
फेर चलइत गेलखिन। देखू एहन दू फेर,थोड़े दूर गेलखिन त एकटा गाम घुसलखिन। कहलकैन देखिऔ केहन अथी छै दुनू आदमी से अपने पैरे चलै छै आ इ गधा के अथी बसहा के ओहिना लेने जाइ छै, से अइ पर बइठ जेतै से नइ जे बसहा के पकइर के चलि रहल छै। त फेर उ कि केलखिन त महादेव ओइ पर बइस गेलखिन। थोड़े दूर गेला के बाद आ फेर पार्वती रस्सी ल क खिचैत गेलखिनयै। फेर थोड़े दूर चललखिन उम्मम केहन छै देखिऔ मर्द भ क अपने बसि गेलय यै औरत रस्सी घीचै छै से केहन जुग छै। फेर उनका दुसलकन सब केयौ।
फेर कहलखिन कि चलु दुनु आदमी बइस जाइ छी। महादेव उतइर गेलखिन पार्वती बइस गेलखिन तखैन देखियौ त केहन औरत। फेर थोड़े दूर चललखिन त कहि छै केहन ढीठगर छै इ औरत से देखियौ जे चलइ छै अपने ऊपर बइस गेलै आ इ बूढ़बा से रस्सी खीचबाबइ छै, से देखियौ केहन जमाना आइब गेलै इयै। फेर उतर गेलखिन पार्वती देखियौ किछ करइ छी त किछ में इ मतलब मनुख गुंजाइश नइ होबा दइ छै आदमी के। तब कहलखिन कि दुनु आदमी बइस गेलखिन। कहलखिन कि फेर चललखिन त कहलखिन देखियौ केहन आदमी छै यै एकटा बसहा पर दु दु आदमी लइद गेलए यै, इ बसहा के एहन धूप में जान जेतै कि नइ जेतै।
पार्वती खिसिया गेलखिन। कहलखिन कि अहीं के नीक लगइ यै इ मृत्यु भुवन में। हम अइ ठाम नइ टिक पैब। मतलब केहनो काम इहां करु लेकिन हरेक काम में किछ न किछ अथी निकाइल देखियौ किछ केलिए हम केहुना चललिए लेकिन किछ न किछ आदमी अथी कइऐ देलक दोष निकाइलते रहल है। इ जगह हमरा लेल नइ सही अइ। त महादेव कहलखिन जे वहै त इ छै जे मनुष्य जे छै से भगवानो स ऊपर तैं कहलाए छै। जते कष्ट मनुष्य झेल सकइ यै ओ त भगवानो नइ झेल पाबइ छथिन। त तैं दुआरे अंहा के बरदाश्त नइ होइ यै। सोचियो इहां के आदमी कते इ चीज झेल रहल छै। इहां जे आदमी रहैत हेतै तकरा त कते ओकरा कष्ट से यहाँ से गुजरत हेतै। तेकर बाद महादेव आ पार्वती अपन चलि गेलखिन।